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रविवार, 30 मई 2010

विवादों में उलझा दैनिक भास्कर,रांची का प्रकाशन

भगवान बिरसा मुंडा की पावन धरती झारखण्ड की राजधानी रांची से प्रकाशित होने जा रहे दैनिक भास्कर की व्यापक तैयारियों ने जहां पूर्व से प्रकाशित दैनिक प्रभात खबर,हिंदुस्तान,जागरण ,रांची एक्सप्रेस ,सन्मार्ग,आज सरीखे अखबारों की नींद हरम कर दी है,वहीं एक योजनाबद्ध तरीके प्रकाशन से पहले ही समूचे प्रदेश में करोड़ों के प्रचार-प्रसार कर चुके इस राष्ट्रीय दैनिक भास्कर के अंदरूनी हक की कानूनी लड़ाई ने सारे प्रकरण को और भी दिलचस्प बना दिया है.
झारखण्ड में भास्कर के लांचिंग से पहले ही आया भूचाल
रांची में दैनिक भास्कर अखबार के लांचिंग से पहले ही बवाल शुरू हो गया है . और यह बवाल बाहर से नहीं बल्कि भास्कर समूह के मालिक अग्रवाल परिवार के अन्दर से शुरू हुआ है . शुक्रवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस कर दैनिक भास्कर , झाँसी के निदेशक संजय अग्रवाल ने डी बी कॉर्प के ख़िलाफ़ अपनी जंग का एलान कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया की झारखण्ड में उनकी सहमति के बिना दैनिक भास्कर को लाँच किया जा रहा है जो परिवार में हुए समझौते के विरुद्ध है .संजय अग्रवाल ने इस बारें में अपनी शिकायत सम्बंधित विभागों में दर्ज करा दी है . संजय अग्रवाल ने आरोप लगाया है की डी बी कॉर्प ने उनके साथ धोखा किया है . उनके मुताबिक 'दैनिक भास्कर ' के नाम से अख़बार निकालने को लेकर रमेश चन्द्र अग्रवाल और बाकि लोगों के साथ एक समझौता हुआ था जिसके तहत आपसी सहमति से अखबार निकालने पर विचार हुआ था . उसके तहत जब दिल्ली और पंजाब से भास्कर का प्रकाशन शुरू हुआ तो उन्होंने कोई आपति नहीं जताई . लेकिन जब उन्होंने देहरादून से दैनिक भास्कर का प्रकाशन शुरू किया तो दुसरे पक्ष की ओर से आपति जताई गयी . संजय अग्रवाल का कहना है की भास्कर समूह द्वारा लाये गए आईपीओ में उनकी भी हिस्सेदारी बनती थी लेकिन उन्हें कोई हिस्सा नहीं दिया गया .
अब संजय अग्रवाल ने डी बी. कॉर्प के इस रवैये को देखते हुए आर -पार की लड़ाई का एलान कर दिया है . उनका कहना है की उनके सहमति के बिना अब बिहार और झारखण्ड से दैनिक भास्कर अख़बार को नहीं निकाला जा सकता .
भास्कर में आये भूचाल की ख़बर को कही मिली जगह तो कही पूरी तरह से ग़ायब
आमतौर से देखा जाता है की मीडिया हॉउस दुसरे मीडिया घरानों में चल रहे पारिवारिक विवाद की ख़बरों से परहेज करते थे .लेकिन अब बाज़ार में हो रही प्रतियोगिता को देखते हुए दुसरे मीडिया घरानों में चल रहा विवाद, प्रतिद्वंदी मीडिया हॉउस के लिए ख़बर बन रही है . हाल में आप ने देखा होगा की इंग्लिश अख़बार ' द हिन्दू ' के अन्दर चल रहे कथित पारिवारिक विवाद की ख़बरों को 'इंडियन एक्सप्रेस' ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था . बाद में इस मामलें पर आपति जताते हुए 'द हिन्दू ' की ओर इंडियन एक्सप्रेस को क़ानूनी नोटिस तक भेज दिया है . वहीँ अब झारखण्ड में दैनिक भास्कर को लाँच किये जाने को लेकर अग्रवाल परिवार में चल रहे विवाद को राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है .
दैनिक हिंदुस्तान ने इस खबर को प्रमुखता नहीं दी है लेकिन इस समूह के बिजनेस पेपर 'मिंट ' पर इसे प्रकाशित किया गया . टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने भी इस सम्बन्ध में एक छोटी सी ख़बर को पब्लिश किया है . लेकिन कुछ मीडिया हॉउस की अख़बारों से यह ख़बर पूरी तरह से ग़ायब है .
डीबी कॉर्प से मांगा स्पष्टीकरणबिहार व झारखंड में डीबी कॉर्प द्वारा दैनिक भास्कर का प्रकाशन शुरू करने के आवेदन पर दैनिक भास्कर, झांसी के निदेशक संजय अग्रवाल ने आपत्ति दर्ज कराई है। पटना के अनुमण्डल पदाघिकारी ने आपत्ति मिलने के बाद भास्कर को एक सप्ताह में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए पत्र लिखा है। दूसरी ओर, रांची के अनुमण्डल पदाघिकारी ने इस आपत्ति को कार्रवाई के लिए आर.एन.आई. को भेजा है।
भास्कर झांसी के निदेशक संजय अग्रवाल ने शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि डीबी कॉर्प लिमिटेड कंपनी ने उनके साथ विश्वासघात किया है। उनकी सहमति के बिना पटना और रांची से अखबार निकालने की घोषणा कर दी। अग्रवाल ने कहा कि वे पूरी तरह से कानूनी लडाई लडेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें हिस्सेदारी नहीं दी जाती है वे अखबार नहीं निकालने देगे।
उन्होने बताया कि डीबी कॉर्प कंपनी ने गलत तरीके से भास्कर टाइटल पर कब्जा किया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरएनआई में सांठ-गांठ कर इन्होने भास्कर नाम पर कब्जा किया हुआ है। झगडा बढने पर उनके ताऊजी द्वारका प्रसाद अग्रवाल के बेटे रमेश अग्रवाल ने मामले को आपस में बातचीत से हल करने का सुझाव दिया। इन्होंने ही डीबी कॉर्प लिमिटेड कंपनी बनाई और कहा कि वे भी मालिक हैं और एक दूसरे की सहमति से अन्य संस्करण निकाले जाएंगे। आपस में सहमति बन गई।
इसके चलते दिल्ली और पंजाब में जब भास्कर निकला तो कोई विरोध नहीं किया। संजय ने बताया कि उन्हें तब झटका लगा जब उन्होंने देहरादून से अखबार निकाला तो इनकी तरफ से एतराज जताया गया। यही नहीं जब भास्कर समूह द्वारा आईपीओ लाया गया तो मुझे हिस्सा देने से इंकार कर दिया गया। को-ऑनर होने के नाते उनका हक बनता था। संजय ने कहा कि परिवार के बडे होने के नाते उन पर भरोसा किया और कोई लिखत पढत नहीं की। संजय ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि उनके साथ कोई धोखा नहीं होगा, लेकिन धोखा हो गया।
इसके बाद ही उन्होंने रांची और पटना से निकाले जाने वाले संस्करणों को लेकर एतराज जता दिया। कानून रूप से मैं भी मालिक हूं और मेरी सहमति के बिना अखबार नहीं निकल सकता है। सभी तथ्यों को देखभाल करने के बाद ही वहां के जिलाघिकारियों ने अखबार निकालने वालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने बताया कि इसी तरह से इन्होने नोएडा में भी अखबार निकालने के लिए कागजी कार्रवाई कर दी थी बाद में शासन ने उनके एतराज करने पर उनको नोटिस जारी किया, जिसका जवाब इन्होने आज तक नहीं दिया।कानूनी रूप से डीबी कॉर्प उत्तरप्रदेश से अखबार नहीं निकाल सकता हैं
रांची में प्रिंट मीडिया का ' रण 'झारखण्ड की राज्यधानी रांची में इन दिनों जहाँ राजनैतिक माहौल में काफी सरगर्मी देखने को मिल रही है वहीँ प्रिंट मीडिया में भी ' रण ' छिड़ा है . वजह रांची में भास्कर की एंट्री को लेकर की जा रही जबरदस्त तैयारियां हैं . भास्कर इस शहर में धमाकेदार ढंग से शुरुआत करना चाहता है . इसलिए भास्कर के कई भारी - भरकम लोग रांची में डेरा जमाये हुए है .
वही भास्कर से निपटने के लिए दैनिक जागरण और हिंदुस्तान के अलावा इस शहर के पुराने खिलाडी प्रभात खबर अपनी रणनीति बनाने में लगे हैं . सबसे बड़ा ख़तरा इन जमे -जमाये अख़बारों से पत्रकारों के टूटने का हैं .ऐसी रिपोर्ट है की रांची में अपनी दमदार टीम बनाने के लिए भास्कर की निगाह शहर के सारे अच्छे पत्रकारों पर है . अच्छा पैकेज और पद मिले तो यह अवसर कौन छोड़ना चाहेगा .
झारखण्ड राज्य के गठन के बाद रांची का महत्व काफी बढ़ गया है ऐसे में हर बड़ा मीडिया हॉउस इस उभरते शहर पर अपनी बादशाहत कायम करना चाहता हैं . शुरुआत में प्रभात खबर को पैर ज़माने के लिए अपने पुराने प्रतिद्वंदी रांची एक्सप्रेस और आज से मुकाबला करना पड़ा था . लेकिन अब रांची के बढ़ते बाज़ार को देखते हुए प्रभात खबर के लिए चुनौतियाँ बढ़ गयी है . हालाँकि प्रभात खबर के प्रधान सम्पादक हरिबंश जी इस खेल के माहिर खिलाडी है .लेकिन अब प्रिंट मीडिया में भी कई प्रतिभावान युवा पत्रकार , पुराने दिग्गजों को चुनौती देने लगे हैं . इन युवा पत्रकारों को जहाँ पत्रकारिता की अच्छी समझ है वहीँ वे इस बाज़ार को भी काफी प्रोफेशनल ढंग से समझते हैं . जिस तरह से प्रिंट मीडिया का परिदृश्य बदल रहा है ऐसे में अब वे पत्रकार तेज़ी से तरक्की कर रहे हैं जिन्हें बाज़ार की मांग के बारें में अच्छी जानकारी है .
इन समीकरणों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा की रांची के बाज़ार में भास्कर की एंट्री कैसी होती है
..............................................................................इन्टरनेट से साभार

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